Monday, February 6, 2012

बाबा बोलता है...

बोले सरदार गुरशरण सिंह जी

साफ-साफ पहचानिएः आपके सामने चैलेन्जेज क्या हैं? दुश्मन कौन है? हम जिस सिद्धान्त के पैरोकार हैं , वह कहता है कि कला जिंदगी के लिए है, कला जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए है। हम कौन है? हम मालिक है ? एक आर्गनाइज्ड तरीके से पंजाब को संकीर्ण बनाया जा रहा है, एक कम्युनिटी अपने को खालसा कहते है, पंजाब कला भवन पर अकालियों ने कब्जा कर लिया है।

मैं 17 सितम्बर को अस्सी साल का हो गया। मैं कम्यून में पार्टी का कार्ड होल्कर रहा। मैं समझता हूं कि कमिटमेंट ठीक था, फैसले गलत हुए। आज पॉलिटिक्स में बेईमानी है। सरदार मनमोहन सिंह स्टेटस बनाये रखना चाहते हैं। ईमानदारी मानी नहीं रखती, देखें कि सोच क्या है ? वह चंडीगढ़ आये थे , फोर्टिस हॉस्पीटल की तारीफ कर रहे थे। मैंने कहा-‘‘ ऑपरेशन के लिए चार लाख चाहिए। ’’ उसने कहा-‘‘जिनके पास है, वे करायें। जो फायदा उठा सकते हैं, क्यों न उठायें। जो प्रीविलेज्ड हैं, प्रीविलेज्ड रहेगें।’’ मनमोहन सिंह इज अवर एनिमी नम्बर वन। वह जानता है कि सबसे कम्प्रोवाइज हो सकते हैं, कम्युनिस्टों से नहीं। मै सोचता हूं-राहुल,सोनिया हो सकता है, बराबरी की सोचते हों। मनमोहन सिंह ऐसा नहीं सोचता। आज ही बोला कि देश के सारे थानों को कम्प्यूटर से मिला दें।

इप्टा की ट्रेडिशंस है। तेरसिंह चैन्न जैसे साथी थे, बड़ा बिछोह दे गये हैं। अमृतसर के चित्रा टॉकीज में उनका ‘अमर पंजाब’ हुआ। वैसा ऑपेरा पिछले साठ साल में नहीं आया। काम करिए, लोगों के पास जाइये। बड़ी कॉफ्रेंस की जाए-प्रीति नगर में हो , अमृतसर में हो। प्लान करिये। प्रो-पीपुल प्रोग्राम करिये- हमारे लोग है रिक्शे वाले , रेहड़ी वाले। लेखको के गांव जायें, लोगों से बात करें। गाँव के लोग लेखकों को नहीं जानते। हम वह मुहावरा नहीं ला सके। हमारे पास खजाना है, बड़े कल्चरल टास्क हैं। कल्चरल फ्रंट यह करेगा। आओ, शुरू करें!

प्रस्तुति: जितेन्द्र रघुवंशी

1 comment:

  1. Gursharanji ne yah sab aur doosara bahut kuchh 19 September 2009 ko Chandigarh men hui IPTA ki North Zone Workshop men kaha tha.Afsos hai ki hum unki ichchha ke anuroop Punjab men IPTA ki Conference n kar sake.Ab karni hi chahiye!
    -Jitendra Raghuvanshi

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