Tuesday, April 24, 2012

आगरा में महादेव नारायण टंडन स्मृति व्याख्यान


गरा। विगत दिनों स्वतंत्रता सेनानी और कम्युनिस्ट नेता कामरेड महादेव नारायण टंडन की नवीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए समाजशास्त्री प्रो. राजीव गुप्ता ने कहा कि वह न केवल स्वाधीनता संघर्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं बल्कि उन आकांक्षओं का भी, जिन्हें नेहरू जी ने "नियति के साथ मुठभेड़" में व्यक्त किया। राजस्थान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के निदेशक प्रो. गुप्ता ‘उभरती सामाजिक-राजनीतिक प्रवृत्तियाँ’ विषय पर स्थानीय माथुर वैश्य सभागार में नवां स्मृति व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र, समानता, मानव अधिकार, न्याय, विकास विलुप्त मूल्यों की श्रेणी में शामिल होते जा रहे हैं। सत्तारूढ़ पार्टियों ने असंतुलित राजनीति को बढ़ावा दिया, जिससे क्षेत्रीय अस्मितायें उभर कर आयी हैं। इस प्रक्रिया ने संवैधानिक नागरिकता को चुनौती दी है। मध्यवर्ग व निम्नवर्ग के बीच दूरी बढ़ी है, नतीजतन श्रमिक-किसान आंदोलनों को नुकसान हुआ है।

उनका कहना था राजनीतिविहीनता अराजकता या फासीवाद की ओर ले जायेगी। सिविल सोसायटी जन-जागरण का काम कर सकती है, लेकिन समस्या का समाधान राजनीतिक संस्थानों के ही माध्यम से होगा। बाजार, अर्थव्यवस्था और सांप्रदायिक-जातिगत संकीर्णताओं के चलते जरूरत सशक्त राजनीतिक विचारधारा से जुड़े व्यापक जन-आंदोलन की है।

प्रारंभिक वक्तव्य में वरिष्ठ बाल रोग चिकित्सक डॉ. जे. एन. टंडन ने कहा कि स्व. टंडन नेताओं की विश्वसनीयता के संकट पर चिंतित थे। विकास की गतियाँ सीधी नहीं सर्पिल होती हैं और एक लंबा वैचारिक आंदोलन अपरिहार्य है। संयोजन करते हुए संस्कृतिकर्मी जितेन्द्र रघुवंशी ने कहा कि जनता का एक बड़ा हिस्सा अपनी मूल सांस्कृतिक जड़ों से कटता जा रहा है। इसलिये प्रतिबद्ध कलाकर्म को विकसित करना होगा। धन्यवाद भाषण में भाकपा के जिला मंत्री रामस्वरूप् दीक्षित ने कामरेड टंडन की जनता को जनता के अनन्य सेवक, कम्युनिस्ट आंदोलन के समर्थ नेता व मार्क्सवाद के शिक्षक की संबा दी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश मिश्रा, सरला जैन व डॉ. पुन्नीसिंह के अध्यक्षमंडल ने की। डॉ. श्रीभगवान शर्मा, सरोज गौरिहार, डॉ. मुकुल श्रीवास्तव, डॉ. मनुकांत शास्त्री, डॉ. अशोक राना, विजय शर्मा, नवाबुद्दीन कुरैशी, चौ. उदयभाव सिंह ने विषय पर हुई चर्चा में भाग लिया। इस अवसर पर मिर्जा शमीम बेग, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. बी. के. खंडेलवाल, डॉ. अरूण चतुर्वेदी, राजवीर सिंह राठौर, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. अजय कालरा, दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. विद्यासागर, विश्वनाथ शर्मा, कल्याण टंडन आदि उपस्थित थे।

प्रस्तुति: जितेन्द्र रघुवंशी

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