Monday, August 27, 2012

सुबह करते- करते बुझे हंगल साहब

जिस सुबह का इंतजार फैज़ साहब को शिद्दत के साथ था, हंगल साहब वही सुबह करते-करते बुझे। उन्हें पहचान भले ही फिल्मों से मिली हो पर वे थियेटर के आदमी थे व कहीं ज्यादा एक्टिविस्ट थे। एक ऐसा एक्टिविस्ट जो आखिरी सांस तक एक बेहतर समाज व इसके लिये इंकलाब की आस नहीं छोड़ता । बीते दिसंबर महीने में वे इप्टा के 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में खराब स्वस्थ्य के कारण नहीं आ पाये थे, पर उन्होंने अपना एक रिकार्डेड संदेश भिजवाया था और उसमें भी यही कहा था-‘हम होंगे कामयाब।’ ‘इप्टानामा’ अपने इस नायक को क्रांतिकारी अभिनंदन के साथ विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।



साथ ही देश भर से उन पर विविध सामग्रियां हमें लगातार मिल रही हैं, जिन्हें आप आने वाले दिनों में ‘इप्टानामा’ में सिलसिलेवार पढ़ सकते हैं।




4 comments:

  1. Deep jalata rahega!Hum sab ise jalaye rakhenge!!

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  2. ...
    माना कि इस जहाँ को ना गुलज़ार कर सके
    कुछ ख़ार कम तो कर गए गुजरे जिधर से हम

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  3. इप्टानामा चिट्ठे के संपादक दिनेश चौधरी जी हंगल साहब के लिए, यह परिचय कि-
    इप्टा के वर्तमान अध्यक्ष सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता, पद्मभूषण श्री ए.के. हंगल हैं,
    अब बदल जाएगा!

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    1. शुक्रिया चंदन! ठीक तो कर लिया है, पर यह तकलीफदेह है।

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