Friday, August 31, 2012

आगरा में स्मरण ए के हंगल


"जीवन शाश्वत है और जीना सीमित"-कामरेड ए के हंगल के इन शब्दों के साथ 30 अगस्त को आगरा के संस्कृतिकर्मियों,सामाजिक कार्यकर्ताओं और कलाप्रेमियों ने स्वतंत्रता सेनानी,रंगमंच व फिल्म अभिनेता,इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  पद्मभूषण हंगल सा.को याद किया.

डा.नसरीन बेगम ने इस मौके पर कहा कि वे तरक्कीपसंद तहरीक के अलमबरदार थे और अवाम  के दिलों को जीतने वाले.रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी ने उन्हें सहज व सरल  कलाकार बताया.गोपाल गुरु का कहना था कि कलाकार की कला उसके बाद भी जीवित रहती है .डा.बी.के.लहरी ने अभिनय में उनके फोकस और इन्वोल्वेमेंट को रेखांकित किया.हरीश चिमटी ने कहा  कि उन्होंने अपनी गतिविधियों के सामाजिक,राजनैतिक व सांस्कृतिक पक्षों को बखूबी साधा.के. नंदा बोले कि उन्होंने सुई में धागा पिरोने से लेकर इप्टा की  नाट्य-चादर को बहुत सलीके से सिला.ओम शर्मा के उद्गार थे कि अभावों के बावजूद उन्होंने उच्चता को छुआ.

जितेन्द्र रघुवंशी ने उनकी जीवन-यात्रा पर प्रकाश डाला और कहा कि वे  कला और विचार की महान विरासत छोड़ गए हैं.भारत भूषण गप्पी ने  कला व सामाजिक कार्यों  में सक्रिय लोगों के आपसी सहयोग पर जोर दिया . डा. आर. सी शर्मा,केशवप्रसाद सिंह,डा.शिरोमणि सिंह,अनिल जैन,उमेश अमल,डा.प्रेमशंकर,डा.प्रियम अंकित,प्रमोद पांडे,उमाशंकर मिश्रा.अहमद हसन,राकेश भटनागर,दिलीप रघुवंशी,विशाल रियाज़,अनिल अरोरा संघर्ष ने हरियाली वाटिका में आयोजित इस आयोजन में कभी सांस्कृतिक 'सन्नाटा" न होने की कामना की.आगरा से हंगल सा. के रिश्तों को भी याद किया गया.

अनेक वक्ताओं ने निजी संस्मरण भी सुनाये.इस शहर में उन्होंने इप्टा के कार्यक्रमों में अनेक बार हिस्सा लेने के साथ-साथ सार्थक फिल्मों "सारा आकाश" और "गर्म हवा" की शूटिंग के लिए काफी समय यहाँ रहे थे. मलपुरा ग्राम में एक सभा को भी उन्होंने संबोधित किया था.  राजेन्द्र  रघुवंशी जी से हंगल सा. की मुलाकात 1947 की अहमदाबाद कांफ्रेंस में हुई थी और यह साथ 55 वर्षों का रहा.

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