Thursday, August 30, 2012

सुर में नहीं है संगीत विश्वविद्यालय


डोंगरगढ़। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की डोंगरगढ़ इकाई ने इंदिरा कला व संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ में नाट्य विभाग के प्राध्यापक श्री योगेन्द्र चौबे के साथ पिछले दिनों हुई मारपीट की घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषी व्यक्तियों पर उचित कार्रवाई की मांग की है। इप्टा ने अपनी एक विशेष सभा में खैरागढ की उक्त घटनाओं को बेहद गंभीरता से लिया है और इस संबंध में महामहिम राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है।

डोंगरगढ़ इप्टा ने अपने एक प्रस्ताव में कहा है कि खैरागढ़ में कला व संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना ललित -प्रदर्शनकारी कलाओं के संवर्द्धन-संरक्षण के लिये की गयी थी और एशिया में इस तरह के एकमात्र विश्वविद्यालय होने का गौरव हासिल करने का अलावा यहां पर आज पर्यंत कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हो सका है। निहित स्वार्थी राजनीतिक तत्वों के अनावश्यक हस्तक्षेप व स्थानीयता की आड़ में असामाजिक तत्वों की मनमानी ने विश्वविद्यालय की सृजनात्मक संभावनाओं को प्रारंभ से ही प्रभावित कर रखा है और अब इस बात की आवश्यकता शिद्दत के साथ महसूस की जाने लगी है कि विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास व इसके अपने हितों के मद्दे-नजर इसका विकेंन्द्रीकरण करते हुए कुछ विभागों को छत्तीसगढ़ में ही अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिये।

श्री योगेन्द्र चौबे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित एक कुशल रंगकर्मी हैं और उनकी ख्याति देशभर में सक्रिय रंगकर्म की वजह से ही है। यह अत्यंत खेद का विषय है कि इस तरह की घटनाओं से कलाकारों की एकाग्रता सृजनात्मक कार्यो से विचलित होती है और बाध्य होकर उन्हें अपनी ऊर्जा गैर-उत्पादक कार्यो में लगानी पड़ती है। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी श्री योगेन्द्र को अपमानित करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय की दीवारों पर अत्यंत आपत्तिजनक भाषा में कतिपय पंक्तियां लिखी गयी थीं, जिनके विवरण की अनुमति शिष्टाचार नहीं देता।

डोंगरगढ़ के साथ इप्टा की भिलाई, रायपुर, बिलासपुर व रायगढ इकाइयों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है व समस्त इकाइयों के अतिरिक्त राज्य इकाई ने भी महामहिम राज्यपाल के संज्ञान में उक्त मामले को लाने के लिये एक ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है।

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