Tuesday, September 4, 2012

आगरा में अमृत लाल नागर जयन्ती समारोह


"एक दिन मुगलों की राजधानी के चहल-पहल भरे बाजार में, दिया जले के वक्त  किनारी बाज़ार में अपनी दुकान पर बैठे लाला बांकेमल कहते हैं - "अहाहाहा प्यारे, आजा आजा ! अरे तेरी लाखों बरस की उमर हो बेटा, खूब आया-खूब आया बच्चा ! ले बैठ जा, अरे मेरे पास बैठ तरकैटी में...हाँ, इस तरियों । हें, हें, हें, तुझे देख लूँ हूँ भैया तो चौबे जी की याद तरोताजा हो जावे है । मर गया चौबे प्यारा । मुझे बिधवा बना के छोड़ गया । अब तो जिंदगी काटे नईं कटे है भैया । दुनिया बड़ी खुस्कैट हो गयी है प्यारे...एकदम फौक्स सुसरी । हम सरीफों के रहने काबिल अब रही नहीं भैयो । बारे आने सेर दूध भला बताओ कोई कैसे जिये .. अरे कहाँ रुपै का सोलै सेर दूध पीके दण्ड पेला करे थे हम लोग ! ...हाय रे जमाने !"

ये अंश हैं अमृतलाल नागर की कृति "सेठ बांकेमल" के जिसे इप्टा के कलाकारों ने नागरी प्रचारिणी सभा के मानस भवन में उनके 96वें जयंती समारोह में दिलीप रघुवंशी के निर्देशन, जितेन्द्र रघुवंशी के संयोजन में मंचित किया । इसमें न सिर्फ आगरे की गली-मौहल्लों की जुबान वरन पंजाबी लहजा भी दिखा । अर्जुन गिरि (बांके), दिलीप रघुवंशी (पंजाबी साहब), कुमकुम रघुवंशी (पंजाबी मेमसाहब), आशुतोश गौतम (शाहजहाँ एवं लाट), सौम्या रघुवंशी (ताजबीबी और लाटनी), निर्मल सिंह (बांके-टू और बंगाली मोशाय), अनुज मिश्रा (मूलचद), सिद्धार्थ रघुवंशी (डॉ मूंगाराम), प्रखर सिंह (जयसिंह, लफटंट, घोशबाबू), विक्रम सिंह (लल्लू, पारितोष), सूरज सिंह (लेखक, बोस बाबू), ने अभिनय किया ।

अमृत लाल नागर साहित्य केंन्द्र, संचित स्मृति न्यास लखनऊ द्वारा नागरी प्रचारिणी सभा के सहयोग से आयोजित समारोह में वीरभद्र विश्वविद्यालय जौनपुर के कुलपति प्रो. सुन्दर लाल ने कहा साहित्यकारों की स्मृतियों को बनाये रखें तो समाज सही दिशा की ओर अग्रसर होता रहेगा । अपने विश्वविद्यालय में साहित्यकारों की वाणी के संपादित अंशों को आडियो कैसेट-सीडी में बतौर स्मृति संजोएंगे । मुख्य अतिथि केएमआई के निदेशक प्रो. हरिमोहन ने कहा बहुआयामी साहित्य के रचनाकार नागर जी कृतियों के कारण अमर हैं । प्रो. हरिमोहन का श्हिन्दीसेवी सम्मानश् मिलने पर अभिनंदन किया ।

मुख्य वक्ता सोम ठाकुर ने कहा हंसमुख व्यक्तित्व के धनी नागर जी की जिंदादिली अनुकरणीय है,  मुझे राजश्री प्रोड्क्शन ने बुलाया, तो नागर जी ने आशीर्वाद दिया । सभापति सरोज गौरिहार ने कहा नागर जी के सानिध्य में जिए पल चिर स्मरणीय थाती हैं । स्मारिका का विमोचन हुआ । बृज बिहारी लाल बिरजू ने शारदा वंदना  की । उ.प्र. हिन्दी संस्थान लखनऊ की पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. विद्याविन्दु सिंह, नागर जी की पुत्रवधू विभा नागर, पौत्री डॉ. ऋचा नागर, पौत्र तरुण नागर ने संस्मरण सुनाए । प्रो. कमलेश नागर ने संचालन, मंत्री डॉ. चंद्रशेखर ने स्वागत, डॉ. खुशीराम शर्मा ने धन्यवाद दिया ।

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