Sunday, November 4, 2012

इप्टा के 16 वें राज्य सम्मेलन का उद्घाटन

उरई। 40 वर्ष पुरानी नाटय कथाओं का आज के समय मंचन बेमानी है। संगीत नाटक अकादमी से अनुदान के लिए पुराने नाटक खेलकर लकीर पीटना नाजायज हरकत है। नये नाटक ऐसे होने चाहिए जिसमें आज का परिवेश और जीवन संघर्ष प्रतिबिंबित हो। ऐसे नाटक लिखवाने के लिए इप्टा जैसे संगठनों को स्वयं लेखकों के बीच जाना होगा।
 यह बात भारतीय जन नाटय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह ने शहीद भगत सिंह महाविद्यालय में इप्टा के 16वें राज्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने याद दिलाया कि 1886 में लार्ड कर्जन के भ्रष्टाचार के उग्र प्रतिकार के लिए लोगों को तैयार करने में मराठी नाटक 'कीचक वध' ने सशक्त भूमिका निभाई थी। नाटक के मंचन के चार दिन बाद ही देश भक्तों ने एक अंग्रेज कलेक्टर को मौत के घाट उतार दिया था। कला में लोगों को प्रेरित करने की ऐसी ही शक्ति होनी चाहिए। इसके पहले स्वागताध्यक्ष विनोद सोनकिया ने कहा कि वही कला वास्तविक है जिसमें आमजन की अनुभूतियां, संवेदनाओं और उनके सरोकारों के साथ जीवन की यथार्थ की अभिव्यक्ति हो। संचालन इप्टा के प्रदेश सचिव डा. राकेश ने किया।

भारतीय जन नाटय संघ यानी इप्टा का राज्य सम्मेलन प्रदेश भर में रंग कर्मियों के समागम का केंद्र बिंदु बना है। हाल में दिवंगत हुए प्रमुख रंग कर्मियों के नाम पर आयोजन स्थल बनाये गये है। मुख्य कार्यक्रम शहीद भगत सिंह साइंस महाविद्यालय में हो रहा है जहां हंगल नगर बसाया गया है।

सुबह मणींद्रालय से बजरिया होते हुए मुख्य बाजार में जनगीत गाते हुए प्रदेश भर के रंग कर्मियों ने सांस्कृतिक यात्रा निकाली तो जैसे पूरा शहर झंकृत हो गया। आजमगढ़ के कलाकारों की नाटय टीम और आगरा के जोशीले जनगीत गाते कलाकार आकर्षण का केंद्र रहे। पूरा शहर इनके साथ-साथ झूम उठा। सांस्कृतिक यात्रा में शामिल रंग कर्मियों, बुद्धिजीवियों पर जगह-जगह फूल बरसाये गए। इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह, प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष चौथीराम यादव, मप्र इप्टा के अध्यक्ष हरिओम राजौरिया, प्रलेस के महामंत्री संजय श्रीवास्तव, रंगकर्म के राष्ट्रीय ख्याति के प्रशिक्षक सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, प्रेमलता राजपूत, औरैया इप्टा के अध्यक्ष प्रेमशंकर अवस्थी, डा. अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के राजनीतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष रिपुसूदन सिंह के अलावा स्थानीय गणमान्यों में कार्यक्रम आयोजक सुधीर अवंस्थी, देवेंद्र शुक्ला, राज पप्पन,जाकिर आजमी, रेहान सिद्दीकी आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।

उद्घाटन सत्र में इप्टा के अध्यक्ष रणवीर सिंह के हाथों से जिले में जनवादी चेतना के संवाहक माने जाने वाले तीन प्रमुख स्तंभों को अभिनंदन पत्र सौंपकर सम्मानित कराया गया। जालौन में रामलीला की परंपरा को दशकों से नये दृष्टिकोण में प्रस्तुत कर रहे पूरन चंद्र मिश्रा, हिंदू पुरा कथाओं की जनवादी व्याख्या करने वाले डा. जयदयाल सक्सेना और शैक्षणिक, राजनीतिक व समाज सेवा के क्षेत्र में जन चेतना के निर्माण में महती योगदान देने वाले ठाकुरदास वैद्य इनमें शामिल है। अस्वस्थ होने के कारण डा. जयदयाल सक्सेना व ठाकुरदास वैद्य निजी तौर पर कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके।

जागरण से साभार

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