Wednesday, February 27, 2013

आगरा इप्टा द्वारा 'अरे, आप...!' का सफल मंचन

-अर्जुन गिरि

गरा। जीवन में बहुत असंगति है, अंतर्विरोध है, लेकिन फिर भी प्रेम और हास्य के लिये पर्याप्त स्थान है। मानव मन की उन उलझी गुत्थियों को प्रस्तुत किया गया, जिनमें अच्छी-बुरी प्रवृत्तियों का टकराव होता है। इन विषयों को लेकर तैयार किये नाटक ‘अरे, आप’ का प्रदर्शन मंगलवार, 26 फरवरी को स्थानीय सूरसदन प्रेक्षागृह में किया गया। नाटक की प्रस्तुति देख प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

ताज महोत्सव के कार्यक्रमों की श्रंखला में मंगलवार को रूसी लेखक अंतोन चेखव की दो एकांकियों ‘शादी का प्रस्ताव (प्रपोजल)’ और ‘गंवार (बियर)’ को जोड़कर रूसी भाषा से जितेंद्र रघुवंशी और पंकज मालवीय द्वारा अनुवाद करके तैयार नाटक ‘अरे, आप’ का निर्देशन दिलीप रघुवंशी ने किया।

नाट्य पितामह राजेंद्र रघुवंशी की दसवीं पुण्यतिथि पर प्रस्तुत हुए नाटक की शुरुआत एक विधवा महिला और उसके बूढ़े बाप से होती है। पड़ोस में रहने वाला एक युवक उसे विवाह का प्रस्ताव देता है, इससे खुश होकर बूढ़ा बाप विधवा बेटी को बातचीत करने के लिये भेजता है। तभी युवक बेटी से बातचीत में पुरानी जमीन और अपने कुत्ते और घोड़े जैसे पालतू जानवरों का विधवा महिला के जानवरों से तुलना करके लड़ता है। विवाद काफी बढ़ता है और रिश्ता शुरू होने से पहले ही टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। इस पर पड़ोसी मरने का नाटक करता है तो बूढ़ा पिता शादी के लिये हां करते हुये बेटी का हाथ सौंप देता है। दूसरे दृश्य में पड़ोसी मर जाता है तो जमींदार पैसा मांगने आ जाता है। शोक संतृप्त महिला से जमींदार हद दर्जे की बदसलूकी करता है। बात मरने मारने तक पहुंच जाती है। दोनों एक दूसरे पर पिस्तौल तान देते हैं। विधवा महिला की हिम्मत देखकर जमींदार को उससे प्रेम हो जाता है। विधवा महिला भी कई बार न न करते हुए उसके प्रस्ताव को स्वीकार लेती है।

नाटक में नीतू दीक्षित, आशुतोष गौतम, अर्जुन कुमार गिरि, विक्रम सिंह, निर्मल सिंह ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। नाटक के मध्य में खुशी के प्रतीक रूसी लोकनृत्य कलींका का प्रदर्शन किया गया। जिसमें मानस रघुवंशी, सिद्धार्थ रघुवंशी, आमिर खान, नवीन शिवहरे, अलका धाकड़, भुवनेश धाकड़, रक्षा गोयल, नव्या अग्निहोत्री तथा शुभम सिंह ने प्रस्तुति दी। इस दौरान सरोज गौरिहार, डा. आरसी शर्मा, डा. एसके दुबे, एमपी दीक्षित आदि उपस्थित रहे।


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