Saturday, April 20, 2013

‘सामंती संस्कार से बढ़ी स्त्रियों के प्रति हिंसा’

कम्युनिस्ट नेता व स्वतंत्रता सेनानी महादेव नारायण टंडन की
पुण्यतिथि पर आयोजित संगोष्ठी में बोलते समीक्षक शकील सिद्दीकी
गरा। सामंती संस्कार हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को पराजित करते रहे हैं। महिलाओं के प्रति सोच में आधुनिक परिवर्तन ही नहीं आया। आजादी के बाद से उनके खिलाफ 873 फीसदी हिंसा बढ़ी है। सम्मान से जीने का उनका बुनियादी अधिकार खतरे में है। यह कहना था प्रगतिशील हिंदी उर्दू समीक्षक शकील सिद्दीकी का, जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कम्युनिस्ट नेता कामरेड महादेव नारायण टंडन की पुण्यतिथि पर आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

‘स्त्रियों के प्रति हिंसा’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में सिद्दीकी जी ने कहा कि जरूरी है कि पुरुषों के साथ महिलाएं भी आजाद हों और समाज में बढ़ते अपराधों को रोकें। सांसद एसपी सिंह बघेल ने कहा कि सख्त कानून के साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा जरूरी है। स्त्रियों द्वारा स्त्रियों के प्रति अन्याय किया जाना उचित नहीं है। डा. अतुल सारस्वत, चौ. बदन सिंह, डा. शशि तिवारी, अरुण सोलंकी, सरोज गौरिहार ने कई मुद्दे उठाए। दयालबाग की शोध छात्रा नेहा शर्मा के हत्यारों को तुरंत पकड़े जाने और सख्त सजा दिलाए जाने के संबंध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पास किया गया।

कार्यक्रम में बाल रोग चिकित्सक डा. जेएन टंडन, रमेश मिश्रा, चौ. उदयभान सिंह, गोविंद रजनीश, प्रो. वीके जैन, चौ. सुखराम सिंह, सोम ठाकुर, अमीर अहमद, रामस्वरूप दीक्षित, भारत सिंह, राजवीर सिंह राठौर, विजय शर्मा, नीतू दीक्षित ने कामरेड महादेव नारायण टंडन को श्रद्धांजलि अर्पित की। संयोजक जितेंद्र रघुवंशी ने राष्ट्रीय आंदोलन और सामाजिक परिवर्तन में उनके योगदान को याद किया।

स्रोत : अमर उजाला

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