Tuesday, April 29, 2014

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस –29 अप्रेल 2014 सन्देश - मूरा मेरज़ूकी, फ़्रांसीसी नर्तक व नृत्य निर्देशक


र कलाकार अपनी कला से गौरवान्वित होता है|

हर कलाकार उस कला के पक्ष में खड़ा रहता है, जिससे साक्षात्कार ने उसकी दुनिया, उसका जीवन बदल दिया | जिसकी खोज और साधना में वो सब कुछ भूल गया, उस कला के आदान- प्रदान की प्रबल इच्छा है उसमें | किसी आवाज़ का अनुनाद हो, नया शब्द हो, मानवता के पक्ष में किसी साहित्य की व्याख्या हो, संगीत हो जिसके अभाव में हम ब्रम्हाण्ड से संवाद नहीं कर सकते या वह पल, जो सौंदर्य, संवेदना, सौहार्द और गरिमा का द्वार खोल देता है |
मेरी प्रतिष्ठा एक नर्तक और नृत्य निर्देशक के रूप में है और इसके लिए मैं नृत्य कला का कृतज्ञ हूँ | नृत्य ने मुझे सुन्दर अवसर दिये , इसके अनुशासन ने मुझे जीवन मूल्य व आचार-व्यवहार सिखाया और ऐसे माध्यम प्रदान किये, जिनसे मैं हर दिन एक नयी दुनिया की तलाश करता हूँ |

मेरे सबसे निकट यह कला मुझे ऊर्जा और उदारता के साथ लगातार भरोसा देती है कि जैसे नृत्य ही ऐसा कर सकता है | इसकी कविता मुझे आश्वासन, साहस और आनंद से भर देती है |

काश ! मैं कह सकता कि नृत्य के बिना मेरा अस्तित्व ही नहीं है, न ही उस अभिव्यक्ति की क्षमता के बगैर, जो मुझे नृत्य से मिली और न ही इस कला से संचारित उस आत्मविश्वास के बिना, जिससे मैं डर और आशंकाओं को पराजित करते हुए आगे बढ़ता हूँ |

नृत्य को मेरा नमन, जिसने विश्व की जटिलताओं और भौतिकताओं से घिरे मेरे जैसे इंसान को एक ऐसा संवेदनशील नागरिक बनाया, जो कला के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाने में प्रयासरत है और उस हिप-हॉप संस्कृति के प्रति वफ़ादार भी, जो नकारात्मक शक्तियों को सकारात्मक ऊर्जा में तब्दील कर देती है |

मेरी श्वासों में रची-बसी नृत्य कला मुझे सम्मानित करती है और मैं इस सम्मान की गरिमा और रक्षा के प्रति सजग हूँ | मैं अपने आस-पास तनाव और कुंठा से ग्रसित कामगार वर्ग के ऐसे युवाओं को देखता हूँ ,जो न केवल समाज से कटे हैं वरन अपने भविष्य के प्रति भी दिशाहीन व निराश हैं | मैं भी उनमें से एक हूँ, और हम सब भी | उनमें जिजीविषा जगाने और जीवन के प्रति आशावान बनाने की दिशा में मैं एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत हूँ और प्रेरित भी, संभवतः दूसरों से अधिक |

हम सब की समृद्धि से ही तो समाज समृद्ध होगा | किसी भी व्याख्यान या तर्क की तुलना में संस्कृति हमें गहराई से जोड़ती है | तो, साहस के साथ आगे बढिए, खतरे उठाइए – बावजूद इसके कि नफ़रत और गतिरोधों का सामना करना होगा | दुनिया का सौंदर्य और संवेदना हमेशा आपके पक्ष में होगी – जैसे नृत्य मेरे साथ – जो अपने सम्पूर्ण सार व तत्वों सहित शरीर संचालन और अद्वितीय ऊर्जा के साथ सामाजिक और नस्ली भेदभाव ख़तम करने की दिशा में मानवता को अनुपम अभिव्यक्तियों तक लाकर एक दूसरे से जोड़ता है |

मैं अपनी बात रेने शा के शब्दों के साथ समाप्त करना चाहूंगा जो मुझे हमेशा याद दिलाती रहती है कि किसी भी पूर्वनिश्चित भूमिका में अपने आप को सीमित मत होने दो |

अपने लिए अच्छे संयोग बनाओ, अपना भाग्य स्वयं सुनिश्चित करो, खतरे उठाओ, सब तुम्हारे साथ होंगे |

तो, कोशिश करो, गिरो, सम्हलो, फिर से शुरू करो – लेकिन सबसे अहम है नृत्य करो, करते रहो, कभी मत रुको !

अनुवाद – अखिलेश दीक्षित, इप्टा लखनऊ


भारत में भारतीय जन नाट्य संघ द्वारा प्रसारित.

No comments:

Post a Comment