Wednesday, April 9, 2014

‘गढ़े जा रहे हैं नकली नायक’ : महादेव नारायण टंडन स्मृति व्याख्यान में शैलेन्द्र कुमार

गरा। अहंकार, वर्चस्व और दंभ की भाषा राष्ट्रवाद के वास्तविक विचार से कोसों दूर है। आभासी सत्य की दुनिया टेक्नोलॉजी के सहारे नकली नायकों को गढ़ रही है। यह बात झारखंड के युवा सामाजिक कार्यकर्ता शैलेन्द्र कुमार ने कही। वे 6 अप्रेल को स्वतंत्रता सेनानी और कम्युनिस्ट नेता कामरेड महादेव नारायण टंडन की 11 वीं पुण्यतिथि पर बोल रहे थे।

आगरा के माथुर वैश्य भजन सभागार में रविवार को ‘वैकल्पिक राजनीति की चुनौतियां’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए शैलेन्द्र कुमार ने ‘भारत दुर्दशा’ को रेखांकित करते बाजार के दबावों, विकास के वैकल्पिक रास्ते की जरूरत, राजनीति और संस्कृति के अंतर्संबंधों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कामना की राजनीति ज्यादा आसान है, बदलाव की कोशिशें मुश्किल हैं। इसके लिए विमर्श और जनता से व्यापक जुड़ाव जरूरी है।

इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डा. जेएन टंडन ने कहा कि युवाओं से नई राजनीतिक सभ्यता व संस्कृति के निर्माण की आशाएं हैं। अध्यक्षीय भाषण में सर्वोदयी नेता शशि शिरोमणि ने अर्थव्यवस्था की ओर से समाजशास्त्र के खत्म होने की बात कही। इस दौरान डा. केसी गुरनानी, हरीश सक्सेना, चौ. बदन सिंह, डा. मुनीश्वर गुप्ता, रमाशंकर राजपूत, अरूण सोलंकी, एमपी दीक्षित, एसके समी, मुकेश अग्रवाल, राहुल कुमार आदि मौजूद रहे। श्रमिक नेता रमेश मिश्रा ने सभी का आभार जताया। संचालन समन्वयक जितेन्द्र रघुवंशी ने किया।

•माथुर वैश्य सभागार में‘वैकल्पिक राजनीति की चुनौतियां’ विषय पर बोले सामाजिक कार्यकर्ता शैलेन्द्र कुमार

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