Tuesday, January 6, 2015

सफदर की शहादत के 25 वर्ष

खनऊ, 5 जनवरी। 2 जनवरी 2015 को सफदर हाशमी की शहादत के 25 वर्ष पूरे हो गये हैं। भगत सिंह की परम्परा में सफदर हाशमी विगत 25 वर्षों से लगातार जनसंस्कृति के पक्षधर संस्कृतिकर्मियों के लिये एक लाईट हाउस का काम करते रहे हैं…आगे भी करते रहेंगे। प्रतिरोध की संस्कृति के पक्ष में सफदर की सृजनात्मकता और उनके आचरण के बीच कोई फांक नहीं थी शायद इसीलिये वो ज्यादा स्वीकार्य हुये। सब जानते हैं कि झण्डापुर साहिबाबाद में 1 जनवरी 1989 को सी.आई.टी.यू. के मजदूरों के आन्दोलन के समर्थन में नाटक हल्ला बोल के प्रदर्शन के दौरान मालिकों के गुर्गों द्वारा कातिलाना हमले में अपने साथियों को बचाते हुये वो शहीद हुये।
उनके इस 25वें शहादत वर्ष में सफदर को याद करते हुये रविवार 4 जनवरी को दोपहर 1 बजे से कार्यक्रम ‘‘याद-ए-सफदर ’’ का आयोजन किया गया। इप्टा, जसम, कलम सांस्कृतिक मंच, जलेस, प्रलेस, जनकलाकार परिषद व जाग्रति सेवा संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 10 विधानसभा मार्ग पर नवनिर्मित ओपन एअर थियेटर ‘‘सफदर मंच’’ का उद्घाटन करते हुये पूर्व सांसद कामरेड सुभाषिनी अली ने कहा कि ये सिर्फ कामरेडो का अड्डा नही होगा बल्कि कामरेडराना अड्डा होगा, जो सभी प्रगतिशील एवं जनवादी संगठनों के लिये खुला होगा।
 अभिव्यक्ति के खतरे उठाने ही होंगे विषय पर विचार गोष्ठी में बोलते हुये जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय उपमहासचिव संजीव कुमार ने मुक्तिबोध और सफदर के बीच समानता ओं को उल्लेखित करते हुये कहा कि वामपंथी आन्दोलन को बढ़ाने में इस तरह के अड्डो की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा नवउदारवादी आर्थिक नीतियों को लागू करने में वर्तमान सरकार पिछली सरकार से ज्यादा निर्लज्ज और निर्दयी है
सेमिनार के दूसरे वक्ता के रूप में बोलते हुये प्रसिद्ध आलोचक व प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े वीरेन्द्र यादव जी ने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि हम सफदर और मुक्तिबोध की मुक्तिकामी चेतना के वाहक है यह नहीं ये आकलन करना होगा।  उन्होनें रायपुर महोत्सव को संदर्भ में लेते हुये कहा कि वामपंथी और प्रगतिशील साहित्यकार अगर उसमें शामिल होते हैं तो उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल नही उठाया जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि वो अपने वर्गीय शत्रु के प्रति दृढ़ता में कमी को प्रदर्शित करता है।
विचार गोष्ठी में बोलते हुये जन संस्कृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर जी ने कहा कि ये साझा पहल वर्ममान दौर में आवश्यक है और हमें इस दिशा में और आगे बढ़ने की जरूरत है। गोष्ठी का संचालन जलेस के नलिन रंजन सिंह ने किया।
विचार गोष्ठी के बाद इप्टा की टीम ने सफदर हाशमी द्वारा लिखित नुक्कड़ नाटक ‘औरत’ का मंचन किया। इसके साथ ही सुप्रसिद्ध गायक कुलदीप और महावीर गल्र्स डिग्री कालेज की छात्राओं द्वारा गीत व नृत्य भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम याद-ए-सफदर का संचालन कलम सांस्कृतिक मंच के संयोजक ऋषि श्रीवास्तव ने किया।
hastakshep.com

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