Saturday, May 16, 2015

रायगढ़ : बच्चों के जीवंत अभिनय ने किया दर्शकों को अभिभूत

प्टा रायगढ़ द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य प्रशिक्षण शिविर का समापन दि. 08 मई 2015 को पॉलिटेक्निक सभागृह में किया गया। दि. 17 अप्रेल से शहर के तीन अलग-अलग स्थानों पर संचालित किये
जाने वाले इस बाल-रंग-कुंभ में लगभग पैंसठ बच्चों ने भाग लिया। कुल तीन नाटकों के मंचन के उपरांत सभी प्रतिभागियों को इप्टा द्वारा प्रमाणपत्र का वितरण किया गया। इस अवसर पर मुंबई से आए हुए पटकथा लेखक एवं साहित्यकार श्री रामजी यादव की उपस्थिति उल्लेखनीय सबसे पहले नाटक ‘प्रतिशोध’ का मंचन किया गया। तेनालीराम की कहानियों पर आधारित इस नाटक में तेनालीराम की चतुराई को उभारा गया है कि किसतरह तेनालीराम अपने ऊपर आए संकट को चतुराई से टाल जाता है। उसे दी गई दस कोड़ों की सजा राजगुरु पर डाल देता है।

तपस्विनी विद्यामंदिर में आयोजित इस शिविर में रियांपारा, चांदमारी क्षेत्र के लगभग पचीस बच्चों ने भाग लिया, जिनके उन्मुक्त अभिनय ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया। इस नाटक एवं शिविर का निर्देशन किया था अजेश शुक्ला ने। उल्लेखनीय है कि अजेश शुक्ला भी इप्टा में अपने बचपन से बाल रंग शिविरों से ही जुड़े और निरंतर अभिनय-निर्देशन करते हुए मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल से प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम पूरा करने के पश्चात पिछले दो वर्षों से इप्टा रायगढ़ और इप्टा चाँपा में बच्चों की कार्यशालाएँ ले रहे हैं। नाटक में बेरोजगारी की समस्या को ढाेंगी बाबाओं से जोड़कर हास्य-व्यंग्य पैदा किया गया है। एक ओर अनेक उच्चशिक्षित युवा बेरोजगार घूम रहे हैं, दूसरी ओर ऐसे ही बेरोजगारों में से एक व्यक्ति रोजगार बाबा बनकर बाबागिरी को ही अपना व्यवसाय बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ करता है। बाद में भांडा फूटने पर वह भी अपनी बेरोजगारी का रोना रोता है। रेल्वे बंगलापारा, चमड़ा गोदाम, विकास

नगर, राजीव नगर, कोतरा रोड क्षेत्र के लगभग तीस बच्चों ने इस शिविर में भाग लिया। इसका निर्देशन भी इप्टा के बाल रंग शिविरों से ही आए हुए युवा रंगकर्मी आलोक बेरिया ने किया था। बच्चों के सहज अभिनय के
कारण प्रेक्षागृह में हँसी के फौव्वारे छूटते रहे। शिविर में कुछ बड़े बच्चों ने भाग लिया था इसलिए स्वाभाविक रूप से पानी, पर्यावरण, प्रदूषण जैसी समस्याओं को कहानी में पिरोकर प्रस्तुत किया गया था। इंद्रदेव नारद को पृथ्वी पर भेजते हैं और वहाँ की समस्याओं का जायजा लेते हैं परंतु बात सिर्फ जानकारी लेने तक सीमित रहती है, वे समस्याओं का हल नहीं निकालते, बल्कि नाच-गान में व्यस्त होने का बहाना बनाकर समस्याओं को टाल जाते हैं। हास्य-व्यंग से भरपूर

संवादों और किशोर प्रतिभागियों के आत्मविष्वासपूर्ण संवाद अदायगी ने मंचन में चार चाँद लगा दिये। शहर के अलग-अलग हिस्सों से दूसरा नाटक था ‘रोजगार महाराज’। “श्यामलाल पोखरा लिखित इस तीसरा नाटक था ‘पानी की कहानी, नारद की जुबानी’। इस आए इन बच्चों के शिविर का निर्देशन किया था इप्टा की वरिष्ठ रंगकर्मी एवं सचिव अपर्णा ने। अपर्णा पिछले कई वर्षों से बच्चों की कार्यशाला लेती रही हैं। उन्होंने अब तक लगभग दस नाटकों का निर्देशन किया है। समूचे कार्यक्रम का संचालन किया अजेश शुक्ला ने। अलावा थियेटर गेम्स, एक्सरसाइजेस, इम्प्रोवाइजेशन के द्वारा भी बच्चों को नाट्य प्रशिक्षण प्रदान किया गया। बच्चों ने सामूहिक रूप में लगभग बाईस दिनों तक रचनात्मक कार्यों का साथ-साथ अनुभव लिया अतः वे और उनके अभिभावक इस अनुभव से अभिभूत थे।

साहित्यकार श्री रामजी यादव ने समस्त प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरीत किये। श्री यादव भी बच्चों की प्रतिभा के कायल हुए। उन्होंने बच्चों की और उनके निर्देशकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि रायगढ़ जैसी छोटी सी जगह में इसतरह की गतिविधि का होना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रमाणपत्र वितरण कार्यक्रम का संचालन किया इप्टा रायगढ़ के अध्यक्ष विनोद बोहिदार ने। इप्टा की कार्यशालाओं में निरंतर भाग लेनेवाली आकांक्षा श्रीवास की असामयिक मृत्यु ने इप्टा के सभी कलाकारों को गहरा सदमा पहुँचाया था। यह पूरा कार्यक्रम आकांक्षा की स्मृति को समर्पित किया गया।

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