Friday, September 16, 2016

जितेन्द्र रघुवंशी स्मृति समारोह-1

"पता नहीं ये कैसा जनमानस है जो व्यक्तिगत रूप से किसी और पक्ष और सार्वजानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष नज़र आना चाहता है। संविधान में आज़ादी के बाद संशोधन किया गया और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया क्योंकि तात्कालिक सत्ता भी  धर्मनिरपेक्ष हो या नही इस पर संदेह था " सत्ता के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप पर बोलते हुए साहित्यकार विभूति नारायण राय ने आज जनमन विचार मंच की बैठक में अपने विचार व्यक्त किये पूर्व पुलिस अधिकारी रहे श्री राय ने एक सवाल के जबाव में कहा कि आज जो पुलिस का चेहरा नज़र आता है वो आज़ादी के पहले का ही वर्णवादी चेहरा है क्योंकि सत्ता के लिए वही सुविधाजनक था । हाशिमपुरा घटना के जांच अधिकारी रहे श्री राय ने कहा कि सत्ता और पुलिस हमको वही करती  है जो हम उसे करने देते हैं । इस सोच का निज़ाम न काबिले बर्दाश्त है । जितेन्द्र रघुवंशी स्मृति समारोह के क्रम में यह पहला कार्यक्रम था जो आज शाम शहीद स्मारक पर हुआ।

गोष्ठी में श्री राय के अतिरिक्त डॉ नसरीन बेगम डॉ ज्योत्स्ना रघुवंशी डॉ प्रियम अंकित डॉ विजय शर्मा श्री नवाब उदीन श्री प्रमोद सारस्वत डॉ राजाराम राजवीर सिंह राठौर ने अपने विचार व्यक्त किये ।गोष्ठी में युवाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया जितेन्द्र जी पत्नी भावना रघुवंशी के अतिरिक्त उनकी बेटी सौम्या अभिषेक रघुवंशी मुम्बई से  फ़राज़ अहमद अलीगढ से शुभम सिंह बंगलौर से  , नदीम दिल्ली से आये हुए हैं जो कल समारोह में भी हिस्सा लेंगे । गौरव लहरी मीडिया से अपने सवालों के साथ थे । दलित सवालों को लेकर अर्जुन तेवतिया और अरुण कुमार भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के बाद फ्रेंड्स थिएटर ग्रुप की प्रस्तुति हुई जिसमें अनिल जैन द्वारा निर्देशित और लिखित नाटक पर्यावरण बचाओ के द्वारा जल जंगल ज़मीन के मसले पर आवाज़ उठाई गयी इस नाटक में  समीर सिंघल उमाशंकर जी सोमा जैन एस के जैन और सभी साथियों ने नाटक के जरिये रंगकर्मी जितेन्द्र रघुवंशी जी को याद किया इस अवसर पर श्री राजीव सिंघल श्री ओम शर्मा श्री सुदर्शन दुआ उपस्थित थे।

-विजय शर्मा 

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