Monday, September 4, 2017

अच्छा रंगमंच सभी नियमाे काे ताेड़ कर किया जाता है

नाट्य-समीक्षा
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नाटक - मैकबेथ
लेखक - शेक्सपीयर
अनुवाद - सुमन कुमार
निर्देशक - अनिल रंजन भौमिक
प्रस्तुति - समानांतर इलाहाबाद |
आलेख नाटक का बदन हाेता है, निर्देशक आत्मा आैर पाञ इंद्रियाँ है | आत्मा की ज़िम्मेदारी हाेती है कि बदन पर काेई ज़ख्म न गहरा लग पाये आैर न ही इंद्रियों का दमन हाे |

मैकबेथ विश्व के बहुचर्चित आैर बहुप्रशंसित नाटकाे मे एक है, इसमे शेक्सपियर ने जाे पाञ रचे है, जाे दृश्य बंधन गढ़े है, इसमे मंच पर जिस भव्यता काे स्थापित किया गया है वह बहुत ही अनूठा कार्य है, शेक्सपियर ने मैकबेथ मे कथ्य आैर शिल्प मे स्पर्धा रखी है | मैकबेथ के संवाद किवदंती बन चुके है |

मैकबेथ पूर्णतया व्वसायिक मंड़लियाे द्वारा खेला जाने वाला नाटक है, यह बजट की मांग करता है, रंगमंच के दीर्घकालीन अनुभव की मांग करता है, परिपक्वता की मांग करता है, उम्दा मंच सज्जा, रूप सज्जा, परिधान आैर प्रकाश व्यवस्था की मांग करता है | अगर आप के पास यह सब न हाे ताे मैकबेथ ज़िद की मांग करता है, दीवानगी की मांग करता है, रंगमंच के नशे की मांग करता है |

रंगमंच करने के बहुत से नियम है आैर अच्छा रंगमंच सभी नियमाे काे ताेड़ कर किया जाता है | एैसा ही बिरला नाटय प्रयोग मैने समानांतर इलाहाबाद की नाटय प्रस्तुति "महादेव " मे देखा |

"महादेव " शेक्सपियर के बहुचर्चित बहुप्रशंसित नाटक "मैकबेथ" का अनुवाद है | अनुवाद सुमन कुमार ने किया है, सुमन कुमार का संबंध राष्ट्रीय नाटय विद्यालय दिल्ली से रहा है | समानांतर इसे़ करने का साहस जुटा पाई इसकी एक महत्वपूर्ण वजह सुमन कुमार का सरल सहज अनुवाद भी है, या अनुवाद ही है | सुमन कुमार ने अव्यवसायिक नाटय संस्था की न्यूनतम एवं अधिकतम सीमा का पूरी तरह ध्यान मे रख कर इसका भारतीय करण किया है |
मैकबेथ एक वीर आैर वफ़ादार सैनिक था जिसे तीन चुड़ैल राजा बन सकने का सपना दिखाती है आैर उसकी पत्नी उसे सब कुछ पा लेने के लिये उकसाती है | शेक्सपियर ने चुड़ैलाे काे अशुभ एवं विनाश का का प्रतीक मानकर समूचे विश्व काे आगाह किया है कि सचेत रहे कि आप के घर मे आप के समीप भी काेई चुड़ैल ताे नही है ???

नाटक केे निर्देशक इलाहाबाद के वरिष्ठ नाटय कर्मी अनिल रंजन भौमिक है, भौमिक जी के पास रंगमंच का चालीस वर्षाे का अनुभव है | मैकबेथ मे भाैमिक जी ने अपने चालीस वर्षाे के अनुभव काे मा़नाे निचोड़ के उंड़ेल दिया है | चुड़ैल वाला दृश्य हाे या युद्ध वाला दृश्य, षड़यंत्र रचने वाला दृश्य हाे या समूचे बरनम वन का स्वतः चलकर महल मे आ जाने वाला दृश्य, भौमिक जी की निर्देशकीय परिकल्पना ने इन सभी दृश्याे काे बहुत खूबसूरती के साथ मंच पर प्रस्तुत कराया है, विशेष कर सैनिकाे का घाेड़े दाैड़ाते हुए आने जाने का दृश्य आकर्षक बन पड़ा है |

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के खुले प्रांगण मे मैकबेथ की यह अंतरंग प्रस्तुति थी, प्रांगण की भव्यता दृश्याे के अनुसार कभी राजमहल की भव्यता का आभास कराती ताे कभी वहां की हरियाली बरनम वन मे पहुचा देती |
युवा रंगकर्मियाे के साथ किया गया भौमिक जी का यह प्रयोग लम्बे समय तक चर्चा का विषय रहेगा |

-अखतर अली
आमानाका, निकट कांच गोदाम
रायपुर (छ. ग.)
माे. 9826126781

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